अन्नकूट या गोवर्धन पूजा का महत्त्व - प्रशांत मुकुंद प्रभु
गोवर्धन पूजा जिसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है, कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है | गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय के गोबर से गोवर्धननाथ जी की बनाकर उनका पूजन किया जाता है तथा अन्नकूट का भोग लगाया जाता है. यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है श्रीमद्भागवत में इस बारे में कई स्थानों पर उल्लेख प्राप्त होते हैं जिसके अनुसार भगवान कृष्ण ने ब्रज में इंद्र की पूजा के स्थान पर कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा आरंभ करवाई थी. इसलिए आज भी दीपावली के दूसरे दिन सायंकाल ब्रज में गोवर्धन पूजा का विशेष आयोजन होता है. भगवान श्रीकृष्ण इसी दिन इन्द्र का अहंकार धवस्त करके पर्वतराज गोवर्धन जी का पूजन करने का आहवान किया था | इस विशेष दिन मन्दिरों में अन्नकूट किया जाता है तथा संध्या समय गोबर के गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है | इस दिन अग्नि देव, वरुण, इन्द्र, इत्यादि देवताओं की पूजा का भी विधान है | इस दिन गाय की पूजा की जाती है फूल माला, धूप, चंदन आदि से इनका पूजन किया जाता है | गोवर्धन पूजा ब्रजवासियों का मुख्य त्योहार है |