Wednesday, April 5, 2017

श्रीमद् भागवतम् स्कंद ०६ I अध्याय ०७ - इन्द्र द्वारा बृहस्पति का अपमान

Srimad Bhagavatam Canto 06 I Chapter 07 - Indra Offends His Spiritual Master, Bṛhaspati. षष्ठ स्कंद में नारायण कवच और पुंसवन व्रत विधि का वर्णन जनोपयोगी दृष्टि से किया गया है। पुंसवन व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है। व्याधियों, रोगों तथा ग्रहों के दुष्प्रभावों से मनुष्य की रक्षा होती है। एकादशी एवं द्वादशी के दिन इसे अवश्य करना चाहिए। इस स्कंद का प्रारम्भ कान्यकुब्ज के निवासी अजामिल उजामिल उपाख्यान से होता है। अपनी मृत्यु के समय अजामिल अपने पुत्र 'नारायण' को पुकारता है। उसकी पुकार पर भगवान विष्णु के दूत आते हैं और उसे परमलोक ले जाते हैं। भागवत धर्म की महिमा बताते हुए विष्णु-दूत कहते हैं कि चोर, शराबी, मित्र-द्रोही, ब्रह्मघाती, गुरु-पत्नीगामी और चाहे कितना भी बड़ा पापी क्यों न हो, यदि वह भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करता है तो उसके कोटि-कोटि जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। किन्तु इस कथन में अतिशयोक्ति दिखाई देती है। परस्त्रीगामी और गुरु की पत्नी के साथ समागम करने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। यह तो जघन्य पाप है। ऐसा व्यक्ति रौरव नरक में ही गिरता है। इसी स्कंद में दक्ष प्रजापति के वंश का भी वर्णन प्राप्त होता है। नारायण कवच के प्रयोग से इन्द्र को शत्रु पर भारी विजय प्राप्त होती है। इस कवच का प्रभाव मृत्यु के पश्चात भी रहता है। इसमें वत्रासुर राक्षस द्वारा देवताओं की पराजयस, दधीचि ऋषि की अस्थियों से वज्र निर्माण तथा वत्रासुर के वध की कथा भी दी गई है। इस विडियो में यह अध्याय श्रीमान रामचंद्र प्रसाद प्रभु द्वारा सुनाया गया है। श्रीमद् भागवतम् के षष्ठ स्कंद के अन्य अध्यायों के विडियो देखने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर यह विडियो देखें: https://www.youtube.com/playlist?list=PLhtmKWc6vRTAqfqFNSD6w6L4JC0vK3q2Y Stay Connected Website: http://ift.tt/1oJekp9 Twitter: https://twitter.com/idtsevaks Facebook: http://ift.tt/2iTcKJw Instagram:http://ift.tt/2jN11dS Pinterest : http://ift.tt/2iTgsCQ Soundcloud : http://ift.tt/2jNc3A3 If you liked this video, please subscribe to our YouTube channel: https://goo.gl/CxIYWY

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